जो प्रभु दीनदयाल कहावा । आरति हरन बेद जस गावा॥
जपहि नामु जन आरत भारी। मिटहि कुसंकट होहिं सुखारी ॥
दीनदयाल बिरद सम्भारी । हरहु नाथ मम संकट भारी ॥
प्रभु राम की प्रतिमा के सामने लाल कम्बल के आसन पर रात भर इस मंत्र के जप से संकट टल जाते है।
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or bhee batao janab.narayan narayan
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